1 मार्च सुबह 6 बजे गुड़गांव के खेड़कीडोला टोल प्लाजा को रिद्धि सिद्धि नाम की कंपनी ने टेकओवर कर ली है। भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) नेबीते महीने इस संबंध में निर्देश जारी किया था। एनएचएआई के परियोजना निदेशक निर्माण जांभुलकर ने इसकी पुष्टि की है कि रिद्धि सिद्धि को केवल टोल वसूलने की जिम्मेदारी सौंपी गई है, अन्य कोई जिम्मेदारी नहीं।
दिल्ली-गुरुग्राम एक्सप्रेसवे के रखरखाव की जिम्मेदारी एक और कंपनी को दी जाएगी। टोल प्लाजा वसूली की जिम्मेदारी एक निजी कंपनी को सौंपे जाने के बावजूद भी स्थिति जस की तस बनी हुई है, लंबी कतारें और अव्यवस्था अभी भी देखी जा रही है। इससे टोल प्लाजा को हटाने की मांग कर रहे लोगों में निराशा व आक्रोश है।
बहरहाल, लोगों में रोष इस बात का है कि टोल प्लाजा को नहीं हटाया गया है। उनकी नजर में एनएचएआई को उनकी समस्याओं से ज्यादा 200 करोड़ रुपये की चिंता थी। एनएचएआई को हर साल टो से करीब 200 करोड़ रुपये की आमदनी होती है।
औद्योगिक क्षेत्र का विकास हो रहा है प्रभावित
सोशलवर्कर अजय शर्मा के अनुसार टोल प्लाजा मानेसर औद्योगिक क्षेत्र के विकास को प्रभावित कर रहे हैं। मानेसर आने और जाने के समय लोगों को सोचना पड़ता है।इसके बाद भी इसे हटाया नहीं जा रहा है। सेक्टर-10ए में रहने वाले कारोबारी राजेश वर्मा के मुताबिक राज्य सरकार के प्रस्ताव पर एनएचएआई ने विचार नहीं किया।
पचगांव टोल प्लाजा राज्य सरकार द्वारा प्रस्तावित किया गया था। टोल प्लाजा कई सालों से ट्रैफिक जाम का प्रतीक बना हुआ है। पीक आवर्स में और दिन भर टोल प्लाजा के दोनों ओर ट्रैफिक का दबाव रहता है।
टोल प्लाजा वाहनों की संख्या के हिसाब से नहीं है। जो इसका मुख्य कारण है। टोल प्लाजा पर रोजाना औसतन 80 से 85 हजार वाहन गुजरते हैं।इसके हिसाब से 40 लेन की सुविधा होनी चाहिए थी लेकिन केवल 25 लेन हैं। एक लाख से ज्यादा ऐसे वाहन निकलते हैं जो टोल के दायरे में नहीं आते।
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